इतने  से  अंधेरे  से  डर  गए ,अभी  तो  रात  का  रंग  और  भी  गहरा  होगा .
जमी  नही  दीख  रही  थी , आसमा  तो  चमक  रहा  था .
अब  तो  आसमा  भी  जमी  के  काले  आँचल  में  छुप  जाएगा । 
वीराना  अँधेरा  समां  होगा .
कुछ  भी  अलग  अलग  नही , अलग  रंग  नही 
सब  कुछ  एक  सा , एक  ही  रंग  में  डूबा  होगा .
सदा  सर्वदा  का  सत्य  अँधेरा ,कितना  स्नेहिल  कितना  निश्चल .
हर  गम  को  हर  किसी  से  छीन  के  अपने  ही सीने  में  छुपा  लेगा .
अभी  तो  रात  का  रंग  और  भी  गहरा  होगा ......
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2 comments:
achhi kavita hai
bahut achhi
kya baat hai ...........sabko andheri raat achhi lagti hai par sab darte hain jaise kashmeer jane se pehle har log sochte hain........
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