संघर्ष के इस रक्तिम वर्ण को जीवन के रंग मे रंग लो.
आदेश तुम्हे है धरा और नभ का सूर्य और चन्द्र का.
इस बहती दरिया से सीखो, सदा आगे ही बढ़ना.
जीवन का सौन्दर्य कहीं खो ना जाये जीवन घट मे .
जाओ जाओ जल्दी जाओ, हो ना जाये देर कहीं
जाओ पालो विजय श्री लुप्त ना हो जाए कहीं
ये जीवन मिला है कुछ कर गुजरने के लिए
इसके कीमती वक्त को बर्बाद ना करो
पल मे हो जाये सूर्यास्त ना कहीं
पकड़ लो रश्मियों को, छुपा लो इन्हें आंखो मे
खोना नही अब और कुछ, सब कुछ पाना है तुमको
जीवन का सौन्दर्य कर रहा तुम्हारा आह्वाहान है
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1 comment:
bahut badhiya
achha hai aap to achhi kavita kar leti hain
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