1 Oct, 2020
Friday, October 2, 2020
Tuesday, February 5, 2019
Family and music
Morning time is the time I need music the most to kickoff my day, so I tuned into Google Play music and the song playing was dil hai ki maanata nahi. In a jolly mood I started my kitchen work when my son called me and said Mumma that song is too boring can you please play some english song. I don't know what went wrong but my 5 year son only talks in English doesn't like it when we talk in hindi. I don't have much interest in English songs but thanks to Smita my college days roommate who was fond of backstreet boys songs and used to play in repeat mode so even I learnt few songs from them. I searched for backstreet boys in YouTube and played the songs. After 3-4 songs my son called me again and said could you please play that song again...I was happy thinking he want my hindi songs to be played again and I asked the one Mumma was listening to? He said no the previous one and when I played the previous one he said yes this one and the song was "quit playing games with my heart"....
Thursday, September 6, 2012
Use of Distinct and OrderBy in LINQ
Use of Distinct and OrderBy in LINQ
The requirement was something like: get the distinct values of (bla bla bla) sorted alphabetically. An example of the required query with Northwind would be the following one:
SELECT DISTINCT e.LastName FROM Orders o LEFT JOIN [Employees] e ON e.[EmployeeID] = o.[EmployeeID] ORDER BY e.LastName
Fundamentally, we are using both a DISTINCT and an ORDER BY statement in SQL.
Now, if you create a NorthwindDataContext importing the Order and Employee tables, you can try to write a similar statement in LINQ to SQL. Unfortunately, the Distinct clause is not part of the query syntax and the most intuitive path could be the one of calling Distinct at the end of your statement, like in the following query:
var queryA = (from o in db.Orders orderby o.Employee.LastName select o.Employee.LastName) .Distinct();
However, the Distinct clause is removing the sort condition defined by the orderby keyword. In fact, the SQL statement sent to the database is the following one:
SELECT DISTINCT [t1].[LastName] FROM [dbo].[Orders] AS [t0] LEFT OUTER JOIN [dbo].[Employees] AS [t1] ON [t1].[EmployeeID] = [t0].[EmployeeID]
This behavior might appear strange. The problem is that the Distinct operator does not grant that it will maintain the original order of values. Applied to LINQ to SQL, this mean that a sort constraint can be ignored in the case of a query like queryA.
The solution is pretty sample: put the OrderBy operator after the Distinct one, like in the following queryB definition:
var queryB = (from o in db.Orders select o.Employee.LastName) .Distinct().OrderBy( n => n );
This will result in the following SQL statement sent to Northwind:
SELECT [t2].[LastName] FROM ( SELECT DISTINCT [t1].[LastName] FROM [dbo].[Orders] AS [t0] LEFT OUTER JOIN [dbo].[Employees] AS [t1] ON [t1].[EmployeeID] = [t0].[EmployeeID] ) AS [t2] ORDER BY [t2].[LastName]
The lesson is: in a SQL query, the position of an operator is not relevant until operators belong to the same SELECT/FROM statement. In LINQ, this is not true and the conversion to SQL could remove LINQ operators when their operation might be ignored by other operators in the same LINQ query.
Monday, February 21, 2011
बाबा मेरो नैहर छुटो जाय
वो सिटी स्कूल के फिल्ड में घंटो खेलना, अपनी गली की दोस्तों के साथ वो लाल परी हरी परी तो कभी भरी दोपहरी में लगड़ी खेलने निकल जाना बॉस तले जाके सफेदाका को ढूड के उसको रोटी देना क्योंकि सब लोग उसको पागल कुत्ता बोलते थे कोई उसे रोटी नहीं देता जाने किस बात का गुस्सा था उसे जो बिना वजह सबके ऊपर भोका करता था वो , वो काली मई के मंदिर पे जाना वो कार्तिक की सुबहो में भोर गए ही अम्मा के साथ गंगा जी पे जाना वो पंडिताईन का हमे लाल टीका लगाना संकल्प छुडाना सब कितना सुकून भरा था वो गंगा जी की कल कल करती धारा सुबह सुबह न उठने के सौ बहाने बनाना सोने दो न रीचु दी पेट दुख रहा है , भाइयों का मुझे हर बात में सताना चिढाना और दुखी होके मेरा वो पूजा के कमरे में जाके रोना , जितना मन चाहे उतना रोना , और फिर अम्मा का वो प्यार वो उनकी गोद उनके ममता की छाव उनके आचल में छुप के सब दुख भूल जाना ! और फिर से वही सब चालू रोवा गाई क्योंकि पता था की ये सब के बाद एक मीठी छाओ एक प्यार भरा हाथ एक माँ का दिल है मेरे पास वो सब ठीक कर देगी वो सबको डांट लगाएगी की मुझे क्यों परेशान किया । पापा का वो सर पे हाथ फेरते ही जादू जैसे सारे दुःख दूर होना सुकून से सो जाना । अब वैसी नींद नहीं आती पापा अब तरसती हूँ माँ की गोद को उस ममता की छाओ को । दुःख और दर्द बेहिसाब बढ़ गए हैं पर उन्हें अपने प्यार से हमसे अलग करके सुकून से सुलाने वाले दूर हो गए हैं, हाय रे बाबा मेरो नैहर छुटो जाय हाय रे बाबा मेरो पीहर छुटो जाय ।
Thursday, January 6, 2011
self realisation-part 1
मैंने सोचा क्यों न इस नए साल नए वर्ष को स्वयं की पहचान का वर्ष बनाया जाए
वो कहते है ना की बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलिया कोय , जो मन खोजा आपना तो मुझसे बुरा न कोय
और जो पहली बात खुद के बारे में समझ आई वो ये की कुछ तो खराबी है मुझमे जो आजतक मुझे एक अच्छा दोस्त नसीब नहीं हुआ या हुई , कोई एइसा नहीं जिससे मै अपना दुख बाट सकू, जिसके कंधे पे सिर रख के रो सकू, जो मुझे समझे और मुझे समझाये भी। पर जितना भी जानने की कोशिश करती हूँ कुछ भी समझ नहीं आता । मुझे जानने वालों हो सके तो आज मुझे ये बात समझा दो। क्यों नहीं बन सकी मै किसी की दोस्त और क्यों नहीं बना सकी किसी को अपना मित्र ।
वो कहते है ना की बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलिया कोय , जो मन खोजा आपना तो मुझसे बुरा न कोय
और जो पहली बात खुद के बारे में समझ आई वो ये की कुछ तो खराबी है मुझमे जो आजतक मुझे एक अच्छा दोस्त नसीब नहीं हुआ या हुई , कोई एइसा नहीं जिससे मै अपना दुख बाट सकू, जिसके कंधे पे सिर रख के रो सकू, जो मुझे समझे और मुझे समझाये भी। पर जितना भी जानने की कोशिश करती हूँ कुछ भी समझ नहीं आता । मुझे जानने वालों हो सके तो आज मुझे ये बात समझा दो। क्यों नहीं बन सकी मै किसी की दोस्त और क्यों नहीं बना सकी किसी को अपना मित्र ।
Tuesday, September 21, 2010
धर्म,भगवान् और हम
भगवान् वैसे ही हैं जैसा रिश्ता
हम माने की एक औरत हमारी माँ है और हम जब भी मुश्किल में होंगे वो हमारा सहारा होगी, हमारे आशु पोछेगी और हमे आगे बढ़ने का हौसला देगी और हम चाहे तो ये भी सोच सकते हैं की माँ वो है जिसने हमे पैदा किया बस और कुछ भी नहीं किसी भी मुश्किल में वो कुछ नहीं कर सकती तो वो सच में कुछ नहीं कर पाएगी
धर्म वो है जो हमे इस रिश्ते पे विश्वास दिलाने की कोशिश करता है
और हम वो हैं जो चाहे तो विश्वास करे या फिर इस दुनिया में निरे अकेले रहे !
चाह हमारी है फैसला हमारा है
हम माने की एक औरत हमारी माँ है और हम जब भी मुश्किल में होंगे वो हमारा सहारा होगी, हमारे आशु पोछेगी और हमे आगे बढ़ने का हौसला देगी और हम चाहे तो ये भी सोच सकते हैं की माँ वो है जिसने हमे पैदा किया बस और कुछ भी नहीं किसी भी मुश्किल में वो कुछ नहीं कर सकती तो वो सच में कुछ नहीं कर पाएगी
धर्म वो है जो हमे इस रिश्ते पे विश्वास दिलाने की कोशिश करता है
और हम वो हैं जो चाहे तो विश्वास करे या फिर इस दुनिया में निरे अकेले रहे !
चाह हमारी है फैसला हमारा है
Wednesday, August 11, 2010
जिंदगी हुई सस्ती
जब मैंने पहली बार एक रोड एक्सिडेंट देखा तो रूह काप गयी
कभी सोचती चालक की गलती थी, कभी सोचती उस जल्दी में सड़क पार करते इंसान की शायद।
जब कुछ ही दिनों में दूसरी बार फिर तीसरी बार और फिर हर २-३ दिन में १ ,
लगा ओह भगवान् क्या इंसान की जान की कीमत कुछ भी नहीं ।
तो क्यों ये इंसान दूसरे इंसान को रौदते निकल जाते हैं, क्या उन्हें ये डर नहीं रह गया
की अपनी करनी का फल भोगना पड़ता है। शायद इसीलिए लोगों ने धर्मं बनाये थे
ताकि लोगों के दिल में कुछ तो प्यार होगा इंसान से, और डर होगा कुछ भी गलत करने से,
पर अब तो इंसान खुद को धर्मं और भगवान् से बढ़के मानने लगा है ।
कल की ही बात है ओउटर रिंग रोड सबसे भीडभाड की रोड पे एक भी बल्ब नहीं जल रहा था
धुत अँधेरे में लोग रास्ता पार कर रहे थे , और खुद को रोड एक्सिडेंट में स्वाहा कर रहे हैं
क्या है ये? क्या ये कोई सोची समझी चाल है ?
अब तो सुबह निकलते हुए भी डर लगता है जाने आज वापस लौट के घर पहुचेंगे या नहीं
हे भगवान् बहुत चला ली इंसानों ने अपनी मनमानी अब तो उन् पे लगाम लगाओ
वरना आपके बनाये इस खूबसूरत दुनिया को शमशान में बदलते देर नहीं लगेगी
सर्वे भवन्तु सुखिंह , सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , माँ कश्चिद दुख्भाग्भावेत
कभी सोचती चालक की गलती थी, कभी सोचती उस जल्दी में सड़क पार करते इंसान की शायद।
जब कुछ ही दिनों में दूसरी बार फिर तीसरी बार और फिर हर २-३ दिन में १ ,
लगा ओह भगवान् क्या इंसान की जान की कीमत कुछ भी नहीं ।
तो क्यों ये इंसान दूसरे इंसान को रौदते निकल जाते हैं, क्या उन्हें ये डर नहीं रह गया
की अपनी करनी का फल भोगना पड़ता है। शायद इसीलिए लोगों ने धर्मं बनाये थे
ताकि लोगों के दिल में कुछ तो प्यार होगा इंसान से, और डर होगा कुछ भी गलत करने से,
पर अब तो इंसान खुद को धर्मं और भगवान् से बढ़के मानने लगा है ।
कल की ही बात है ओउटर रिंग रोड सबसे भीडभाड की रोड पे एक भी बल्ब नहीं जल रहा था
धुत अँधेरे में लोग रास्ता पार कर रहे थे , और खुद को रोड एक्सिडेंट में स्वाहा कर रहे हैं
क्या है ये? क्या ये कोई सोची समझी चाल है ?
अब तो सुबह निकलते हुए भी डर लगता है जाने आज वापस लौट के घर पहुचेंगे या नहीं
हे भगवान् बहुत चला ली इंसानों ने अपनी मनमानी अब तो उन् पे लगाम लगाओ
वरना आपके बनाये इस खूबसूरत दुनिया को शमशान में बदलते देर नहीं लगेगी
सर्वे भवन्तु सुखिंह , सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , माँ कश्चिद दुख्भाग्भावेत
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